योग के लाभ जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हैं | Benefits of Yoga Based on Scientific Research in hindi

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Benefits of Yoga in Hindi – योग वास्तव में एक ‘सार्वभौम् विश्व मानव धर्म’ है। योग की दृष्टि में धर्म एक विज्ञान है किंतु योग को किसी धर्म विशेष से न जोड़ते हुए उसका अध्ययन करें तो पाएँगे कि हम अपने किसी धार्मिक अंग का ही पठन-पाठन कर रहे हैं और अपनी आस्था एवं धार्मिक भावनाओं को मानव जाति के कल्याण व उत्थान के लिए दृढ़ कर रहे हैं। इस प्रकार हम योग के रहस्य को स्पष्ट रूप से समझने का प्रयास कर सकते हैं।

योग क्या करता हैै – What does yoga do in hindi

यह बता पाना मुश्किल है कि योग क्या-क्या करता है। यह तो इसका प्रयोग करने पर ही मालूम हो सकता है। फिर भी हमने कुछ शब्दों में इस बात को बताने की कोशिश की है। योग साधना के मार्ग में प्रवृत्त होने पर उदरप्रदेश के रोग जैसे अपच, अरुचि, अजीर्ण, क़ब्ज़, गैस, खट्टी डकार आदि में लाभ मिलता है। योग में बताए आहार से रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग जैसी घातक बीमारियों से बचा जा सकता है। शांति एवं संतोष की भावना स्वभाविक रूप से जीवन में समाहित हो जाती है। छल-कपट, झूठ, चोरी एवं चरित्रहीनता से साधक दूर ही रहता है। जिस कारण व्यक्तिगत एवं सामाजिक, दोनों स्तरों पर नैतिकता का विकास होता है।

योगासनों से लाभ के वैज्ञानिक कारण – Benefits of Yoga in Hindi

यौगिक सूक्ष्म व्यायाम, यौगिक स्थूल व्यायाम, पवन मुक्तासब्ज समूह, वायु निरोधक एवं शक्ति बंध की क्रियाओं से लाभ

सुबह के समय शरीर में कड़ापन होता है। उच्च अभ्यास के लिए शरीर एकदम से तैयार नहीं रहता। अत: हल्के व्यायाम करने से अंगों-उपांगों में लोच, लचीलापन आ जाता है। हल्के व्यायाम से हमारे सन्धि संस्थान व पूरे शरीर के जोड़ खुल जाते हैं। रक्त संचार पर्याप्त मात्रा में होने लगता है और आगे के योगासनों में समस्या नहीं होती।

पूरे शरीर में तीव्रता आ जाती है। शरीर हल्का हो जाता है। शरीर में स्फूर्ति आ जाती है। सन्धि जोड़ खुल जाने के कारण उनमें फेंसी हुई वायु रक्त संचार की तीव्रता के कारण वहाँ से निकल जाती है। पूरे शरीर को एक प्रकार की नई ताज़गी, चेतनता प्राप्त होती है। मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह तीव्र होने से उसे क्रियाशील बनाता है। इस प्रकार हमारे पैर के अँगूठे से लेकर टखना, पिंडली, घुटना, जंघा, नितंब, उपस्थ, कमर, उदर, पीठ, मेरुदण्ड, फेफड़े, हाथ की अंगुलियाँ, कुहनी, स्कध, ग्रीवा, आँख, सिर, पाचनतंत्र के अंग आदि सभी भाग क्रियाशील हो जाते हैं और उनके विकार दूर होकर हमें निरोगी काया प्रदान करते हैं।

पदमासन एवं ध्यान से संबंधित आसनों से लाभ

पद्मासन एवं इनसे संबंधित आसनों को करने से हमारे कुण्डलिनी चक्र की ऊर्जा उध्र्वमुखी होती है अतः मूलाधार से लेकर सहस्त्रधार चक्र की ऊर्जा को हम आत्मसात् कर उनसे होने वाले सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जीवन में नई चेतना का प्रादुर्भाव होता ̈है। इस अवस्था में बैठकर ध्यान करने से हम आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर सकते हैं। पद्मासन में बैठने से हमारा मेरुदण्ड स्थिरता को प्राप्त करता है; अतः बुढ़ापे में झुकने की समस्या नहीं होती। पद्मासन में बैठने से ध्यान और धारणाओं के द्वारा हम अपनी स्मरण शक्ति को तेज़ कर सकते हैं।

वज्रासन से संबंधित आसनों से लाभ

जब हम वज्रासन में बैठते हैं, तो यह हमारे श्रोणी प्रदेश, प्रजनन अंग और पाचनतंत्रों के अंगों में रक्त संचार को सुचारु कर उन्हें सुदृढ़ बनाता है। प्रजनन अंग के कई अन्य रोगों को लाभ प्रदान करता है। जैसे हर्निया, शिथिलता, शुक्राणु का न बनना, बवासीर, अण्डकोश ग्रन्थि की वृद्धि, हाइड्रोसिल आदि एवं महिलाओं के मासिक स्त्राव की गड़बड़ी को दूर करता है।

पीछे की ओर झुककर किए जाने वाले आसनों से लाभ

पीछे की ओर झुककर किये जाने वाले आसनों से हमारे फेफड़े, फुफ्फुस फैलते हैं, जिस कारण वे ऑक्सीजन की अधिक मात्रा संग्रहित कर हमारे शरीर को नवयौवनता प्रदान करते हैं। पीछे झुकने से उदर प्रदेश की पेशियाँ तनती हैं। जिस कारण पाचन की अच्छी मालिश भी हो जाती है। पीछे झुकने से हमारे मेरुदण्ड की तंत्रिकाएँ पुष्ट होती हैं। पूरा शरीर इनसे जुड़ा हुआ होता है। अत: उनके संतुलन को ठीक कर उनसे होने वाली बीमारियाँ जैसे, स्लिप डिस्क, साइटिका, स्पॉण्डिलाइटिस एवं मेरुदण्ड के कई रोग आदि को ठीक करता है।

खड़े होकर किए जाने वाले आसनों से लाभ

इस प्रकार के आसनों से पिंडली एवं जंघाओं की माँसपेशियों में मज़बूती आती है जिस कारण उनमें होने वाले रोग जैसे गठिया, कपवात, पिंडलियों का दर्द, घुटने की समस्या आदि रोगों से छुटकारा मिल जाता है। खड़े होकर करने वाले आसनों से पीठ की पेशियों में भी खिचाव आता है, जिससे वे व्यवस्थित होती हैं।

आगे झुककर किए जाने वाले आसनों से लाभ

इस प्रकार के आसन से उदर प्रदेश में संकुचन होता है, जिस कारण उसमें अधिक दबाव पड़ता है। पीठ की कशेरूकाएँ फैलती हैं और माँसपेशियाँ उदीप्त होती हैं। मेरुदण्ड की ओर रक्त संचार पर्याप्त मात्रा में होता है। जिससे वह अपने काम को सुव्यवस्थित रूप से करता है। उदर प्रदेश में संकुचन और दबाव पड़ने के कारण उदर प्रदेश के अंगों की अच्छी मालिश हो जाती है। जिस कारण पाचन तंत्र के रोग नष्ट होते हैं व गुदा, यकृत, अग्नाशय आदि अंग मज़बूत होकर निरोग रहते हैं।

मेरुदण्ड मोड़कर किए जाने वाले आसनों से लाभ

हमारे शरीर का स्तम्भ मेरुदण्ड यदि स्वस्थ है तो हमारा शरीर वृक्ष के तने की तरह सुगठित दिखेगा। इसको मोड़कर किए जाने से हमारे भीतरी अंगों की अच्छी मालिश हो जाती है। माँसपेशियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है। मेरुदण्ड अधिक लोचदार व लचीलापन लिए रहता हैं। मेरुदण्ड को मोड़कर किए जाने वाले आसनों से पाचनतंत्रों के अंगों का भी अच्छा व्यायाम हो जाता है, अतः ये अंग उद्दीप्त होकर सुचारु ढंग से कार्य करते हैं।

सिर के बल किए जाने वाले आसनों से लाभ

सिर के बल किए जाने वाले आसन से मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ जाता है, जिससे सिर को संपूर्ण पोषण मिलता है। पीयूष ग्रंथि की कार्यप्रणाली बेहतर होती है। अत: हमारे सोचने-समझने की शक्ति का विकास होता है। हमारे पूरे शरीर में रक्त संचार तीव्र हो जाता है। जिस कारण हृदयप्रदेश सुव्यवस्थित होकर हमारे रक्त की शुद्धता को बढ़ाता है। उदर प्रदेश के भीतरी अंग, पीठ आदि की कार्यपद्धति बेहतर ढंग से कार्य करने लगती है। हमारे मानसिक रोग हों, झड़ते बाल हों, चेहरे की सुंदरता हो या हम कह सकते हैं कि सिर, कधे के बल किए जाने वाले आसन कायाकल्प का काम करते हैं।

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About author:- मैं व्यसन परामर्श, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य में प्रमाणित हूं और मैं 30 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ एड्स-प्रमाणित पंजीकृत नर्स भी हूं और Hindi health point का संस्थापक हूं

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