Hindu Nav Varsh 2023: नमस्कार साथियों अगर आप जानना चाहते हैं कि हिंदू नव वर्ष कब है और हिंदू नव वर्ष कैसे मनाया जाता है और हिंदू नव वर्ष की क्या विशेषताएं हैं इसके साथ ही हिंदू नव वर्ष का क्या महत्व है और हिंदू नव वर्ष और अंग्रेजी नववर्ष में क्या अंतर है यह सब पूरी जानकारी दीजिए आज हम आपके लिए बताने वाले हैं।
साथिया हिंदू नव वर्ष हिंदुओं का न्यू ईयर है अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 1 जनवरी से नया वर्ष शुरू होता है लेकिन हिंदू धर्म के अनुसार और हिंदू कैलेंडर के हिसाब से हिंदू नव वर्ष चैत्र प्रतिपदा के दिन से शुरू होता है। चलिए जानते हैं कि हिंदू नव वर्ष 2023 में कब है।
हिंदू नव वर्ष 2023 कब है? | Hindu Nav Varsh 2023 Kab Hai
हिंदू नव वर्ष 2023 की बात करें तो हिंदू नव वर्ष 22 मार्च 2023 को है अभी हाल में हिंदू पंचांग के हिसाब से संवत्सर 2079 चल रहा है चैत्र शुक्ल विक्रम संवत 2080 शुरू हो जाएगा जो कि 22 मार्च 2023 के दिन होने वाला है। इसी दिन हिंदू नव वर्ष होता है।
आपको बता दें कि हिंदू नव वर्ष 2023 22 मार्च 2023 दिन बुधवार के दिन है। इस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है इसके साथ ही हिंदू त्यौहार गुड़ी पड़वा है और इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो जाती हैं।
हिंदू नव वर्ष का महत्व
हिंदू नव वर्ष हिम्मत की बात करें तो ब्रह्मपुराण के अनुसार स्थिति को ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी और इसके संचालन का दायित्व देवी-देवताओं के लिए सौंपा था सतयुग का आरंभ इसी तिथि को बताया जाता है तथा भगवान श्रीकृष्ण में मत्स्य अवतार इसी दिन लिया था।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 22 मार्च 2023 के दिन बुधवार से शुरू होने वाले नए वर्ष के स्वागत के लिए तैयारियां शुरू कर देना चाहिए और सभी हिंदू भाइयों को हिंदू नव वर्ष को धूमधाम से मनाना चाहिए।
हिंदू नव वर्ष और अंग्रेजी नए वर्ष में अंतर
हिंदू नव वर्ष और अंग्रेजी नववर्ष में अंतर की बात करें तो बहुत सारे अंतर है सबसे पहले आपको बता दें कि अंग्रेजी कालगणना ने इस वर्ष अपने 2023 वें वर्ष में पदार्पण किया है, जबकि हिन्दू कालगणना के अनुसार इस चैत्र शुक्ल 1 को 15 निखर्व, 55 खर्व, 21 पद्म (अरब) 93 करोड़ 8 लाख 53 सहस्र 125 वां वर्ष आरंभ हो रहा है।
आपको बता दें कि 1 खर्व अर्थात 10,00,00,00,000 वर्ष (हजार करोड़ या वर्ष)और 1 निखर्व अर्थात 1,00,00,00,00,000 वर्ष (दस हजार करोड़ वर्ष) होता है।
नव संवत्सर 2080 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , 22 मार्च 2023 से प्रारंभ हो रहा है यही हिन्दुओं का नया वर्ष है, इसे धूमधाम से जरूर मनाएं। और अपने दोस्तों को बताएं और सभी को नववर्ष की बधाइयां भी दें।
चैत्र शुक्ल पक्ष के प्रारंभ होते ही हिन्दुओं का वर्षा आरंभ दिवस है क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है। इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं। इसका मतलब है कि सूर्य की किरण है इस दिन पर बहुत अधिक आती हैं।
भारतीय हिन्दु नववर्ष की विशेषताएं
हिंदू नव वर्ष की बहुत सी विशेषता है जोकि हिंदू नव वर्ष को एक शुभ नववर्ष माना जाता है इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
- हिंदू नव वर्ष 2021 की पहली विशेषता है कि पुराणों में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र सुदी 1 रविवार था।
- चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है । इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है । हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है ।
- पेड़-पौधों में फूल, मंजरी (मौर) ,कली इसी समय आना शुरू होते हैं , वातावरण में एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है। जीवों में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है।
- इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था।
- भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था।
- नवरात्र की शुरुआत इसी दिन से होती है । जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर नववर्ष की शुरूआत करते हैं।
- गुडी पाडवा त्योहार इसी दिन से मनाया जाता है।
- परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है। इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है।
- वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया।
- भारतीय हिंदू नव वर्ष के समय न शीत(सर्दी) न ग्रीष्म(गर्मी) होती है। मतलब सामान्य वातावरण होता है। जिसे पावन काल कहते हैं।
- ऐसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं श्रीराम रूप धारण कर उतर आए, श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।
- आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी। यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है। संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है।
- हिन्दुओं का नया साल विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है।
- इस अवसर पर कहीं धूल-धक्कड़ नहीं होती है, कुत्सित कीच नहीं होती है, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता होता है। पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा।
- किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत्र में ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी
- चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास । मधु मास अर्थात आनंद बांटता वसंत का मास। यह वसंत आ तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में।
- सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है ,पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में।
- चारों ओर पकी फसल का दर्शन , आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है । खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा जाती है।
- नई फसल घर में आने का समय भी यही है।
- इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है , जिससे पेड़ -पौधे , जीव-जन्तु में नवजीवन आ जाता है।
- गौरी और गणेश की पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है।
- चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है , मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि में होता है।
हिंदू नव वर्ष कब और क्यों मनाना चाहिए?
अगर आप हिंदू हैं तो हिंदू नव वर्ष आपको जरूर मनाना चाहिए हिंदू नव वर्ष मनाने के कारण जानने के लिए जरूर पढ़ें। आज से 1,96,08,53,121 वर्ष एवं 260 दिन पूर्व इस सृष्टि में अनेक मानव (युवक -युवतियां ) की उत्पत्ति भूमि से हुई थी , सृस्टि की आयु 432 करोड़ वर्ष होती है । पहली बार भूमि से पैदा होने वाले सभी मानव ऋषि कोटि के होते हैं।
इस प्रकार हम सभी ऋषियों की संतान हैं । जब हमारे पूर्वज भूमि से पैदा होते हैं तभी हम भूमि को भूमि माता भी कहते हैं , एवं परम पिता केवल ईश्वर को कहते है । मानव की उत्पत्ति से पूर्व इस सृष्टि में सभी पेड़ -पौधे एवं समस्त प्राणी जगत की उत्पत्ति हो चुकी थी । जिस दिन सृष्टि में मानव की उत्पत्ति होती है वह दिन चैत्र मास प्रथमपदा होता है , इसीलिए चैत्र मास प्रथमपदा से नए वर्ष का शुरुआत होती हे।एक जनवरी से नही ।
जब मानव उत्पत्ति होती है उस समय ना ज्यादा ठंड होती और ना ही ज्यादा गर्मी होती है, क्योंकि नग्न एवं युवावस्था में पहली बार अनेक युवक -युवतियां भूमि से पैदा होते है । यदि ज्यादा ठंड या गर्मी होगी तो मानव पैदा होते ही बीमार हो सकता है ।
मानव उत्पत्ति के प्रथम दिन ही परमपिता परमेश्वर चार ऋषियो (अग्नि ,वायु, आदित्य, अंगिरा ) को मानव के लिए पूर्ण ज्ञान दे देता है , यह चारों ऋषि यह ज्ञान परमपिता परमेश्वर के आशीर्वाद से ब्रह्मांड से परा- पश्यन्ति वाणी में ग्रहण करते हैं । इस ज्ञान को कोई भी मानव आज भी अष्टांग योग पालन करने वाला योगी /ऋषि परा- पश्यन्ति वाणी में सुन सकता है।
इसी तरह आज से लगभग 6500 वर्ष पहले महर्षि ऐतरेय महिदास जी ने भी कुछ ज्ञान लिया था । मानव उत्पत्ति के प्रथम दिन कृषि कार्य , चिकित्सा , मानवीय रिश्तों का ज्ञान (माता -पिता, भाई -बहन, चाचा- चाची, ताई -ताऊ, बाबा दादी ,मामा, नाना आदि ) , शादी , सभी कुटीर उधोग , घर बनाने का पूर्ण विज्ञान, भोजन बनाने का पूर्ण विज्ञान आदि ज्ञान दे देता है एवं सभी फसले तैयार थी जिसमे कपास भी थी , उन्होंने कुछ ही दिनों में वस्त्र तैयार कर धारण कर लिए थे ।पहला दिन ज्ञान की चरमावस्था होती है ।ज्ञान वही है जिससे समस्त प्राणिजगत का कल्याण होता हो ,बाकि सभी अज्ञान है ।
यह चारों ऋषियों को चारो वेद का ज्ञान क्रमशः अग्नि -ऋग्वेद का , वायु -यजुर्वेद का आदित्य -सामवेद का, एवं अंगिरा -अथर्ववेद का प्राप्त करते हैं ,फिर ये चारों ऋषि इन चारों वेदों का ज्ञान ऋषि ब्रह्मा जी को देते हैं । इस तरह ज्ञान की परंपरा गुरु- शिष्य परंपरा के तहत आगे बढ़ती चली आती है।
अंग्रेजो ने तो हमारी बहन- बेटियो के साथ बहुत अत्याचार किए हैं एवं हमारे क्रांतिकारियों को फांसी पर चढ़ाया है और हमारे पूर्वजों पर बहुत अधिक अत्याचार किए हैं , ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था एवं उस का खतना 8 दिन बाद 1 जनवरी को हुआ था फिर क्यों हम ईसा मसीह की खतने के पर्व क्यों मनाये? हिंदू नव वर्ष के बारे में और अधिक जानकारी पढ़ें।
हिन्दू नव वर्ष कब मनाया जाता है 2023?
भारतीय हिंदू नव वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है।
हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ कब होता है?
हिंदू नव वर्ष हिंदू कैलेंडर के हिसाब से चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2023 कब है?
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा साल 2023 में 22 मार्च 2023 दिन बुधवार के दिन है।
हिंदू 22 मार्च को नया साल क्यों मनाते हैं?
हिंदू 22 मार्च 2023 को नया वर्ष किस लिए मनाते हैं क्योंकि इस दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन है और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन हिंदुओं का नववर्ष होता है।
आशा है कि आपको पता चल गया होगा कि हिंदू नव वर्ष 2023 कब है (Hindu Nav Varsh 2023) हिंदू नव वर्ष की क्या विशेषताएं हैं और हिंदू नव वर्ष एवं अंग्रेजी नया वर्ष में क्या अंतर है सब जानकारी आपने पढ़ी होगी अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो आप हमें कमेंट करके बताएं और इस पोस्ट को अपने दोस्तों और हिंदू भाइयों के साथ शेयर जरूर करें।