हिंदू नव वर्ष 13 अप्रैल 2021 | Hindu Nav Varsh 2021

Hindu nav barsh 2021

नमस्कार हिंदू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं दोस्तों आज 13 अप्रैल है एवं हिंदुओं का नया वर्ष है। इस लेख में हम बात करेंगे कि हिंदू नव वर्ष कब और कैसे आता है और इसकी क्या विशेषताएं हैं। आइए जानते हैं विस्तार से –
हिन्दू धर्म पृथ्वी के उद्गम से ही है और सबसे सर्वश्रेष्ठ धर्म है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दू ही इसे समझ नहीं पाते। पाश्चात्य कल्चर को योग्य और अधर्मी कृत्यों का अंधानुकरण करने में ही अपने आप को धन्य समझते हैं। 31 दिसंबर की रात में नववर्ष का स्वागत और 1 जनवरी को नववर्षारंभ दिन मनाने लगे हैं।

लेकिन आपको बता दें कि अंग्रेजी कालगणना ने इस वर्ष अपने 2021 वें वर्ष में पदार्पण किया है, जबकि हिन्दू कालगणना के अनुसार इस चैत्र शुक्ल 1 को 15 निखर्व, 55 खर्व, 21 पद्म (अरब) 93 करोड़ 8 लाख 53 सहस्र 123 वां वर्ष आरंभ हो रहा है ।
आपको बता दें कि 1 खर्व अर्थात 10,00,00,00,000 वर्ष (हजार करोड़ या वर्ष)
और 1 निखर्व अर्थात 1,00,00,00,00,000 वर्ष (दस हजार करोड़ वर्ष) होता है।

नव संवत्सर 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , 13 अप्रैल 2021 से प्रारंभ हो रहा है यही हिन्दुओं का नया वर्ष है, इसे धूमधाम से जरूर मनाएं। और अपने दोस्तों को बताएं और सभी को नववर्ष की बधाइयां भी दें।

चैत्र शुक्ल पक्ष के प्रारंभ होते ही हिन्दुओं का वर्षारंभ दिवस है क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है। इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं। इसका मतलब है कि सूर्य की किरण है इस दिन रति पर बहुत अधिक आती हैं।

भारतीय हिन्दु नववर्ष की विशेषताएं | Hindu nav Varsh 2021 ki Visheshtaen.

हिंदू नव वर्ष की बहुत सी विशेषता है जोकि हिंदू नव वर्ष को एक शुभ नववर्ष माना जाता है इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं।

  1. हिंदू नव वर्ष 2021 की पहली विशेषता है कि पुराणों में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र सुदी 1 रविवार था।
  2. चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है । इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है । हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है ।
  3. पेड़-पौधों में फूल, मंजरी (मौर) ,कली इसी समय आना शुरू होते हैं , वातावरण में एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है। जीवों में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है।
  4. इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था।
  5. भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था।
  6. नवरात्र की शुरुआत इसी दिन से होती है । जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर नववर्ष की शुरूआत करते हैं।
  7. गुडी पाडवा त्योहार इसी दिन से मनाया जाता है।
  8. परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है । इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है।
  9. वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया।
  10. भारतीय हिंदू नव वर्ष के समय न शीत(सर्दी) न ग्रीष्म(गर्मी) होती है। मतलब सामान्य वातावरण होता है। जिसे पावन काल कहते हैं।
  11. ऐसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं श्रीराम रूप धारण कर उतर आए, श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवें दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।
  12. आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी। यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है। संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है।
  13. हिन्दुओं का नया साल विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है।
  14. इस अवसर पर कहीं धूल-धक्कड़ नहीं होती है, कुत्सित कीच नहीं होती है, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता होता है। पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा।
  15. किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत्र में ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी ।
  16. चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास । मधु मास अर्थात आनंद बांटता वसंत का मास। यह वसंत आ तो जाता है फाल्गुन में ही, पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में।
  17. सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है ,पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में।
  18. चारों ओर पकी फसल का दर्शन , आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है । खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा जाती है।
  19. नई फसल घर में आने का समय भी यही है।
  20. इस समय प्रकृति में उष्णता बढ़ने लगती है , जिससे पेड़ -पौधे , जीव-जन्तु में नवजीवन आ जाता है।
  21. गौरी और गणेश की पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है।
  22. चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है , मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि में होता है।

तो यह थी हिंदू नव वर्ष की विशेषताएं तो सभी से निवेदन है कि अपनी संस्कृति रक्षा के लिए गांव-शहरों में नववर्ष निमित्त प्रभात फेरियां, झांकिया की सजावट वाली यात्राएं, पोस्टर लगाकर, स्थानिक केबल पर प्रसारण करवाकर नववर्ष का प्रचार-प्रसार जरूर करें। एवं इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। और सभी को नए वर्ष की शुभकामनाएं दें धन्यवाद इस लेख में बस इतना ही।

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