Hindu nav varsh 2021– नमस्कार आज 13 अप्रैल है यानी कि आज से हिंदू नव वर्ष प्रारंभ होने जा रहा है। आप सभी के लिए हिंदू नव वर्ष की बहुत-बहुत बधाई। अंग्रेजी नव वर्ष और हिंदू नव वर्ष में क्या अंतर है हमें नीचे बताए हैं जो अंग्रेजी नंबर के मुकाबले हिंदी नववर्ष को सबसे अच्छा नववर्ष माना जाता है और बताते हैं-
इसी दिन गुडी पाडवा का त्यौहार प्रारंभ होता है और चैत्र नवरात्र भी नजदीक आ जाते हैं।
1. प्रकृति- 1 जनवरी को कोई अंतर नहीं जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. चैत्र मास में चारों तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I
2. वस्त्र- दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर..
चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I
3. विद्यालयों का नया सत्र- दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नहीं..
जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I
4. नया वित्तीय वर्ष- दिसम्बर-जनवरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) क्लोजिंग होती है वहीं नये खाते खोले जाते हैं I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I
5. कैलैण्डर- जनवरी में नया कैलैण्डर आता है.. चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य मुहूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I
6. किसानो का नया साल- दिसंबर-जनवरी में खेतों में वही फसल होती है.. जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उत्साह I
7. पर्व मनाने की विधि- 31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते हैं, हंगामा करते हैं, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश..
जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I
8. ऐतिहासिक महत्त्व- 1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही है.. जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंभ , ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I
अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला..
अपना नव संवत्ही नया सालहै I
जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I
अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष..?
“मात्र कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं”
आओ जागें और जगाएं अपनी भारतीय संस्कृति अपनाएं और आगे बढ़े I
।। जय सनातन ।।
।। हर हर महादेव ।।
Hindu nav Varsh 2021- नव वर्ष कब मनाये ?
आज से 1,96,08,53,121 वर्ष एवं 260 दिन पूर्व इस सृष्टि में अनेक मानव (युवक -युवतियां ) की उत्पत्ति भूमि से हुई थी , सृस्टि की आयु 432 करोड़ वर्ष होती है । पहली बार भूमि से पैदा होने वाले सभी मानव ऋषि कोटि के होते हैं।
इस प्रकार हम सभी ऋषियों की संतान हैं । जब हमारे पूर्वज भूमि से पैदा होते हैं तभी हम भूमि को भूमि माता भी कहते हैं , एवं परम पिता केवल ईश्वर को कहते है । मानव की उत्पत्ति से पूर्व इस सृष्टि में सभी पेड़ -पौधे एवं समस्त प्राणी जगत की उत्पत्ति हो चुकी थी । जिस दिन सृष्टि में मानव की उत्पत्ति होती है वह दिन चैत्र मास प्रथमपदा होता है , इसीलिए चैत्र मास प्रथमपदा से नए वर्ष का शुरुआत होती हे।
एक जनवरी से नही ।
जब मानव उत्पत्ति होती है उस समय ना ज्यादा ठंड होती और ना ही ज्यादा गर्मी होती है, क्योंकि नग्न एवं युवावस्था में पहली बार अनेक युवक -युवतियां भूमि से पैदा होते है । यदि ज्यादा ठंड या गर्मी होगी तो मानव पैदा होते ही बीमार हो सकता है ।
मानव उत्पत्ति के प्रथम दिन ही परमपिता परमेश्वर चार ऋषियो (अग्नि ,वायु, आदित्य, अंगिरा ) को मानव के लिए पूर्ण ज्ञान दे देता है , यह चारों ऋषि यह ज्ञान परमपिता परमेश्वर के आशीर्वाद से ब्रह्मांड से परा- पश्यन्ति वाणी में ग्रहण करते हैं । इस ज्ञान को कोई भी मानव आज भी अष्टांग योग पालन करने वाला योगी /ऋषि परा- पश्यन्ति वाणी में सुन सकता है।
इसी तरह आज से लगभग 6500 वर्ष पहले महर्षि ऐतरेय महिदास जी ने भी कुछ ज्ञान लिया था । मानव उत्पत्ति के प्रथम दिन कृषि कार्य , चिकित्सा , मानवीय रिश्तों का ज्ञान (माता -पिता, भाई -बहन, चाचा- चाची, ताई -ताऊ, बाबा दादी ,मामा, नाना आदि ) , शादी , सभी कुटीर उधोग , घर बनाने का पूर्ण विज्ञान, भोजन बनाने का पूर्ण विज्ञान आदि ज्ञान दे देता है एवं सभी फसले तैयार थी जिसमे कपास भी थी , उन्होंने कुछ ही दिनों में वस्त्र तैयार कर धारण कर लिए थे ।
पहला दिन ज्ञान की चरमावस्था होती है ।
ज्ञान वही है जिससे समस्त प्राणिजगत का कल्याण होता हो ,बाकि सभी अज्ञान है ।
यह चारों ऋषियों को चारो वेद का ज्ञान क्रमशः अग्नि -ऋग्वेद का , वायु -यजुर्वेद का आदित्य -सामवेद का, एवं अंगिरा -अथर्ववेद का प्राप्त करते हैं ,फिर ये चारों ऋषि इन चारों वेदों का ज्ञान ऋषि ब्रह्मा जी को देते हैं । इस तरह ज्ञान की परंपरा गुरु- शिष्य परंपरा के तहत आगे बढ़ती चली आती है।
अंग्रेजो ने तो हमारी बहन- बेटियो के साथ बहुत अत्याचार किए हैं एवं हमारे क्रांतिकारियों को फांसी पर चढ़ाया है और हमारे पूर्वजों पर बहुत अधिक अत्याचार किए हैं , ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था एवं उस का खतना 8 दिन बाद 1 जनवरी को हुआ था फिर क्यों हम ईसा मसीह की खतने के पर्व क्यों मनाये ?
मेरे मत में जिस दिन इस सृस्टि में मानव का पदार्पण होता है उसी दिन नव वर्ष मनाना चाहिए अर्थात गुड़ी पड़वा को ( 2021 में 13 अप्रैल को )। हिंदू नव वर्ष के बारे में हमने और जानकारी लिखिए आप इसे क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
निर्णय आपका है …………..